Tuesday, April 16, 2024
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गोरखपुर में 24 अरब का निवेश, औद्योगिक गलियारे की दस्तक

गोरखपुर, जेएनएन। वर्ष 2018 गोरखपुर के औद्योगिक विकास में मील के पत्थर के रूप में याद रखा जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे पर औद्योगिक गलियारा की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा ने विकास का नया आयाम रचने की ओर कदम बढ़ा दिया है। ‘एक जिला एक उत्पादÓ में टेराकोटा कला को शामिल कर प्रदेश सरकार ने न सिर्फ इसको वैश्विक पहचान दी वरन अमेजन के साथ टेराकोटा हस्तशिल्प की ऑनलाइन बिक्री को मंजूरी देकर कलाकारों को समृद्ध होने का द्वार खोल दिया। उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट से कराह रही आमी नदी को जीवन देने के लिए 15 एमएलडी के सीईटीपी प्लांट के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है। नमामि गंगे परियोजना के तहत बजट मिलते ही इस पर भी काम शुरू हो जाएगा।

अपने भवन में पहुंचा गीडा
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) को वर्ष 2018 में अपना भवन नसीब हुआ। आठ फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीडा में गीडा कार्यालय का उद्घाटन किया। अब तक गीडा कार्यालय शहर के सिविल लाइंस इलाके में किराये के भवन में संचालित था। गीडा क्षेत्र में कार्यालय खुलने के बाद उद्यमियों की समस्याओं का तेजी से निस्तारण होने के साथ ही जमीन अधिग्रहण की दिशा में ठोस काम शुरू हुआ।
आवासीय योजना को दिया मूर्त रूप
गीडा में 142 प्लाट की आवासीय योजना को मूर्त रूप दिया जा चुका है। नए साल में इसके लिए विज्ञापन भी जारी किया जाएगा। पॉवर ग्रिड के पीछे तकरीबन चार एकड़ में बनने वाली इस आवासीय योजना के साथ ही उद्योगों के लिए भी प्लाट की उपलब्धता पर तेजी से काम चल रहा है।

सात हजार एकड़ जमीन का होगा अधिग्रहण

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जुडऩे वाले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे पर बेलघाट व आसपास के क्षेत्र में तकरीबन सात हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए अधिसूचना जारी करने के लिए शासन को पत्र भेजा जा चुका है। जमीन मिलने के बाद लिंक एक्सप्रेस वे के आसपास तेजी से विकास होगा। गीडा क्षेत्र में 350 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का प्रस्ताव भी शासन के पास भेजा जा चुका है। इससे गीडा के लैंड बैंक की कमी दूर होगी।
गीडा दिवस से परवान चढ़ीं उम्मीदें
गीडा प्रशासन ने गीडा के 30वें स्थापना दिवस को यादगार बना दिया है। स्थापना दिवस पर औद्योगिक गोष्ठी, प्रदर्शनी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी ने विकास की उम्मीदों को परवान दिया। लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट के बाद गीडा में मनाए गए स्थापना दिवस पर बाहर से आए उद्यमियों ने व्यवस्था की सराहना करते हुए निवेश की इ’छा जताई।

12 एकड़ में बनेगा सीईटीपी

गीडा के अडि़लापार में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) को हरी झंडी मिल गई है। 12 एकड़ में बनने वाले सीईटीपी की क्षमता 15 एमएलडी होगी। इससे गीडा के उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट सीधे आमी नदी में नहीं गिरेगा। सीईटीपी लगाने पर 80 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है।
गीडा में आया 24 अरब का निवेश
लखनऊ में हुए इन्वेस्टर्स समिट में 27 उद्यामियों ने गीडा में निवेश की इ’छा जताते हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इसके माध्यम से गीडा में 24.63 अरब रुपये के निवेश की बुनियाद तैयार हो गई है। गीडा दिवस में घर वापसी को आतुर उद्यमियों ने बदले माहौल को देखते हुए बड़े निवेश की इच्‍छा जताई है।
ब्याजमाफी से खिले उद्यमियों के चेहरे
बिना औद्योगिक विकास उद्यमियों से ब्याज वसूलने का मामला इस साल खत्म हो गया। उद्यमियों की लंबी लड़ाई के बाद प्रदेश सरकार ने उद्यमियों का 2.81 करोड़ रुपये का ब्याज माफ कर दिया। इससे उद्यमियों में खुशी की लहर है।

यह हैं उपलब्धियां

– 3.50 करोड़ की लागत से कालेसर से नौसड़ तक एलईडी लाइट लगाने का काम

– 80 करोड़ रुपये की लागत से 15 एमएलडी सीईटीपी प्लांट लगाने का प्रस्ताव

– 300 करोड़ की लागत से अंकुर उद्योग की स्थापना को हरी झंडी

– गीडा में गैलेंट की फैक्ट्री का विस्तारीकरण

नई आशा का हुआ संचार
गीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव रंजन ने कहा कि वर्ष 2018 गीडा के लिए सफल रहा। कई नई योजनाएं शुरू हुईं तो कई पर काम शुरू हो गया। ब्याजमाफी का प्रकरण निस्तारित हो गया। गीडा दिवस से स्थानीय के साथ ही बाहर के उद्यमियों में नई आशा का संचार हुआ है। सीईटीपी का प्रस्ताव नमामि गंगे परियोजना को भेजा जा चुका है। औद्योगिक गलियारा से लैंड बैंक की कमी दूर हो जाएगी।
ओडीओपी ने खोले समृद्धि के द्वार
वर्षों से अनदेखी का शिकार टेराकोटा कला को वर्ष 2018 में मुकाम मिल गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने महत्वाकांक्षी एक जिला एक उत्पाद योजना में टेराकोटा को शामिल कर हस्तशिल्पियों के लिए समृद्धि के द्वार खोल दिए। टेराकोटा कलाकृतियां औने-पौने दाम पर न बेची जाएं, इसके लिए प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन शापिंग कंपनी अमेजन से करार किया है। इसके तहत कलाकृतियों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म मिलेगा। बता दें कि गुलरिहा के औरंगाबाद स्थित कुम्हारी कला पोखरे की मिट्टी से वर्ष 1914 में विजय प्रजापति ने टेराकोटा कला की शुरुआत की थी

Source :- jagran.com

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